विनायक समिति गणपति उत्सव में मयूरी डांस ग्रुप की धूम

हरदोई। श्री विनायक समिति द्वारा आयोजित अग्रवाल धर्मशाला रेलवे गंज में संस्थापक सोमेंद्र अग्रवाल द्वारा गणपति उत्सव अपने चरम पर है। प्रातः काल विधि विधान के साथ गणपति की पूजा अमित पांडे ने की और उसके बाद सहस्त्रार्चन का कार्यक्रम हुआ देर शाम मंत्रोचार के मध्य हवन कुंड में आहुतियां डालकर सभी ने गणपति बप्पा के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित की शांतिकालीन आरती में उमेश अग्रवाल श्रीमती श्रद्धा  तिवारी अपर जिला जज अल्ट्राटेक के देवराज सिंह और विशाल सिंह हरगोविंद सेठी और दीपांशी सेठी ने बप्पा की आरती उतारी इसके बाद भक्त जनों को बप्पा ने अपने दर्शन देने आरंभ कर दिए।

संध्याकालीन आरती के पश्चात फिरोजाबाद से आई मयूरी डांस ग्रुप ने राग सेवा के माध्यम से प्रस्तुतियां देकर सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना मिताली वर्मा ने गणेश स्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।इसके बाद इस दल के सदस्यों ने एक गढ़वाली लोक नृत्य प्रस्तुत करके देवभूमि उत्तरांचल की खुशबू से पूरे पंडाल को भिगो दिया।

गणपति की कृपा में भीगते हुए श्रद्धालुओं के समक्ष मयूरी डांस ग्रुप के कलाकारों ने जब एक भावपूर्ण कजरी नृत्य प्रस्तुत किया तो सभी आनंदित होकर तालियों के साथ मंच पर हो रहे नृत्य का साथ देने लगे। कजरी के बाद राम भजन की धुन पर श्रद्धालु खुद को रोक नहीं पाए और मंच के सामने खड़े होकर अपने आराध्य को श्रद्धा देते हुए नृत्य करते रहे। मंच पर नृत्य करते कलाकार और मंच के नीचे श्रद्धालुओं का नृत्य सभी को असीम आनंद दे रहा था।

ढलती हुई रात के बीच प्रयागराज का प्रसिद्ध डेधिया लोक नृत्य जब कलाकारों ने प्रस्तुत किया तो सभी ने अपने दांतों तले उंगली दबा ली। सर पर जलते हुए मिट्टी के मटकों में आग रखकर नृत्य करते कलाकारों का संतुलन और पद संचालन एक और जहां सभी को प्रभावित कर रहा था वही गीत के बोल अपनी परंपरिकता से जोड़ते हुए एक भक्ति का वातावरण बना कर रहे थे ।

श्रद्धालुओं से भरे हुए पंडाल में एक और जहां तिल रखने की जगह नहीं थी वहीं मंच पर राधा और कृष्ण की अटखेलियों ने मानो द्वापर का युग मंच पर जीवंत कर दिया हो। कलाकारों की भाव भंगिमा, मुद्राएं और छलकता हुआ वात्सल्य जहां सभी को अपने रस में भिगो रहा था वहीं गणपति बप्पा के जयकारों से पंडाल गुंजायमान था । तालियों की गूंज के बीच शिव रुद्राष्टकम स्रोत पर जब कलाकारों ने भावपूर्ण नृत्य किया तो सभी रोमांचित हो गए और आंखों से अश्रु की धारा बहने के लगी ।

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